वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को बजट पेश करते हुए 'भारतीय भाषा पुस्तक योजना' शुरू करने की घोषणा की।
इस योजना के तहत स्कूलों और विश्वविद्यालयों के लिए डिजिटल माध्यम से भारतीय भाषाओं में किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी। उन छात्रों को फायदा होगा जो अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करना चाहते हैं।
भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत डिजिटल रूप में किताबें उपलब्ध होने से शिक्षा तक पहुंच आसान होगी, क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा और समावेशी शिक्षा को बढ़त मिलेगी।
डिजिटल किताबें इंटरनेट के माध्यम से कहीं भी और कभी भी पढ़ी जा सकती हैं, जिससे दूरदराज के इलाकों में रहने वाले छात्रों को भी फायदा होगा।
कई छात्र अंग्रेजी की बाधा के कारण उच्च शिक्षा में कठिनाइयों का सामना करते हैं। इस योजना से वे अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर सकेंगे, जिससे विषयों की गहरी समझ विकसित होगी।
जिनके पास स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप है, वे आसानी से अपनी भाषा में किताबें डाउनलोड कर सकते हैं।
डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा से छात्रों को भारी-भरकम किताबें ढोने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक ही डिवाइस में हजारों किताबें स्टोर की जा सकेंगी।
भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं और सैकड़ों बोलियां हैं, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए अधिकतर किताबें अंग्रेजी में उपलब्ध होती हैं।
यह योजना छात्रों को अपनी भाषा में पढ़ने का अवसर देगी, जिससे वे बेहतर तरीके से ज्ञान अर्जित कर सकें और क्षेत्रीय भाषाओं को भी संरक्षित किया जा सके।
यह कदम शिक्षा के डिजिटलीकरण को भी बढ़ावा देगा और 'विकसित भारत' के लक्ष्य को मजबूत करेगा।