प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा के लिए 1985 में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) की स्थापना हुई।
SPG का मुख्य कार्य प्रधानमंत्री, उनके परिवार और पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा प्रदान करना है। 1981 से पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा जिले के तहत थी।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बीरबल नाथ समिति ने SPG की सिफारिश की। 30 मार्च 1985 को कैबिनेट सचिवालय के तहत SPG का गठन किया गया।
SPG का नेतृत्व डायरेक्टर रैंक के आईपीएस अफसर के हाथ में होता है। इसका मुख्यालय प्रधानमंत्री आवास में स्थित है। SPG का प्रमुख 3 साल के निश्चित कार्यकाल पर नियुक्त किया जाता है।
हमले की स्थिति में SPG जवान पीएम के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाते हैं। पीएम के काफिले में BMW 7 सीरीज सिडान, BMW X3 SUVs, मर्सिडीज बेंज एंबुलेंस और जैमर गाड़ियां शामिल होती हैं।
SPG कमांडोज को वही ट्रेनिंग दी जाती है जो यूएस सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को मिलती है। जवानों को टेक्नोलॉजी, फिटनेस और सतर्कता में परफेक्ट बनाया जाता है।
SPG कमांडोज FNF-2000 असॉल्ट राइफल और ग्लोक 17 पिस्टल से लैस होते हैं। ये हाई-ग्रेड बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैं, जो AK-47 की गोली भी रोक सकती है।
SPG कमांडोज के पास एक स्पेशल बुलेटप्रूफ ब्रीफकेस होता है। यह ब्रीफकेस पोर्टेबल बुलेटप्रूफ शील्ड में बदल जाता है और हमले के समय सुरक्षा कवच का काम करता है।
SPG जवान नॉन-स्लिप जूते, सुरक्षा चश्मा और खास दस्ताने पहनते हैं। कान में ईयर प्लग या वॉकी-टॉकी से साथी कमांडो से संपर्क करते हैं।
SPG का हर कमांडो एक वन मैन आर्मी की तरह होता है। भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में यह फोर्स दुनिया की सबसे सक्षम यूनिट्स में से एक मानी जाती है।