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कौन है दिव्या देशमुख? शतरंज में महिलाओं के साथ भेदभाव का लगाया आरोप

Image credits: social media

शतरंज में लैंगिक भेदभाव का आरोप

भारतीय शतरंज स्टार दिव्या देशमुख ने विज्क आन जी में टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट के समापन के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट में शतरंज में बड़े पैमाने पर लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाया है। 

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महिलाओं के शतरंज खेलने को नजरअंदाज किया जाता है

लिखा मुझे लगता है कि यह दुखद सच्चाई है कि जब महिलाएं शतरंज खेलती हैं तो लोग अक्सर इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि वे वास्तव में कितना अच्छा खेल खेलती हैं।

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महिलाओं की कम सराहना की जाती है

मुझे लगता है कि महिलाओं की कम सराहना की जाती है और हर अप्रासंगिक चीज पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जबकि पुरुष शायद उन्हीं चीजों से बच जाते हैं।

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दर्शकों का खेल के बजाय अप्रासंगिक चीजों पर कमेंट

उन्होंने लिखा दर्शकों को मेरे खेल से कोई परेशानी नहीं थी, बल्कि उन्होंने खेल के सिवाय हर संभव चीज पर ध्यान केंद्रित किया जिसमें मेरे कपड़े, बाल, उच्चारण और अप्रासंगिक चीज शामिल थे।

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दिव्या देशमुख कौन हैं?

दिव्या देशमुख का जन्म 9 दिसंबर 2005 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ। वह 18 साल की एक भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं, जिनके पास इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) की उपाधि है।

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महिला भारतीय शतरंज चैंपियनशिप जीती

उन्होंने 2022 महिला भारतीय शतरंज चैंपियनशिप जीती। 2022 शतरंज ओलंपियाड में व्यक्तिगत कांस्य पदक भी जीता। वह स्वर्ण पदक विजेता FIDE ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड 2020 टीम का भी हिस्सा थीं।

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एशियाई महिला शतरंज चैम्पियनशिप जीती

2023 में अल्माटी में उन्होंने एशियाई महिला शतरंज चैम्पियनशिप जीती। फिर टाटा स्टील इंडिया शतरंज टूर्नामेंट के महिला रैपिड वर्ग में पहले स्थान पर रहीं।

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भवन भगवानदास पुरोहित विद्या मंदिर, नागपुर से पढ़ाई

दिव्या देशमुख ने भवन भगवानदास पुरोहित विद्या मंदिर, नागपुर से स्कूली शिक्षा पूरी की। पिता डॉ. जीतेन्द्र देशमुख और मां डॉ. नम्रता देशमुख दोनों ही स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं।

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राहुल जोशी से कोचिंग

छह साल की उम्र में दिव्या ने राहुल जोशी से कोचिंग लेनी शुरू कर दी थी। जब वह 4 साल की थी तब उन्होंने लबाई कम होने के कारण बैडमिंटन से शतरंज की ओर रुख किया।

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पांच साल की उम्र में पहला पुरस्कार

दिव्या को अपने पिता की वजह से शतरंज में रुचि हुई। शौक के तौर पर शतरंज खेलना शुरू किया था। उन्होंने पांच साल की उम्र में अपना पहला पुरस्कार जीता।

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