मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 1962 से 1969 तक 10 बजट पेश किए। वह स्वतंत्रता सेनानी भी थे। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान कई बार जेल गये।
मोरारजी देसाई का जन्म 29 फरवरी, 1896 को भदेली गांव, गुजरात के बुलसर जिले में हुआ। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे जिनसे उन्होंने सख्त अनुशासन, कड़ी मेहनत और समर्पण का मूल्य सीखा।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1918 में बॉम्बे की विल्सन सिविल सर्विस से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 12 वर्षों तक डिप्टी कलेक्टर के रूप में काम किया।
1930 में मोरारजी देसाई को एहसास हुआ कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन देश को चूस रहा था। देसाई ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और अपने देश की आजादी के लिए लड़ने का फैसला किया।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें तीन बार कैद किया गया, विशेष रूप से व्यक्तिगत सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान।
मोरारजी देसाई एक प्रमुख कांग्रेस नेता थे जिन्होंने 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिलने से पहले पार्टी और प्रशासन दोनों में महत्वपूर्ण पद संभाले थे।
14 नवंबर, 1956 को वह केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री बने और बाद में 22 मार्च, 1958 में वित्त विभाग संभाला। उन्होंने बड़े पैमाने पर राजस्व जुटाया, अनावश्यक खर्चों को कम किया।
1967 में वह इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बने। लेकिन दशकों की अटूट सेवा के बावजूद 1969 में उनका वित्त विभाग छीन लिया गया।
आहत देसाई ने भारत के उपप्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 1969 में कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद देसाई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (संगठन) के साथ बने रहे।
1977 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष के राजनीतिक दलों ने जनता पार्टी की छत्रछाया में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस (आई) के खिलाफ एक साथ लड़ाई लड़ी।
देसाई ने जोर-शोर से प्रचार किया जनता पार्टी की आश्चर्यजनक जीत हुई। देसाई संसद में जनता पार्टी के नेता बने और 24 मार्च 1977 को भारत के प्रधान मंत्री की शपथ ली।