आईआईटी ग्रेजुएट पराग अग्रवाल को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के सैलरी पैकेज पर नौकरी पर रखा गया था लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें एक साल के भीतर ही नौकरी से निकाल दिया गया।
द इंफॉर्मेशन की नई रिपोर्ट के अनुसार आईआईटी ग्रेजुएट पराग अग्रवाल ने अब अपने एआई स्टार्टअप के लिए लगभग 249 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
ये तब सुर्खियों में आए थे और दुनिया भर में ट्रेंड कर रहे थे,जब उन्हें ट्विटर का सीईओ नियुक्त किया गया था।लेकिन एलन मस्क द्वारा ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद उन्हें निकाल दिया गया।
अब पराग अग्रवाल एआई सेगमेंट में कदम रख रहे हैं और बड़ी फंडिंग हासिल कर चुके हैं। ओपनएआई के शुरुआती सपोर्टर विनोद खोसला के नेतृत्व वाले खोसला वेंचर्स ने इस कंपनी में फंडिंग की।
पराग अग्रवाल का AI स्टार्टअप कथित तौर पर बड़े भाषा मॉडल के डेवलपर्स के लिए सॉफ्टवेयर बना रहा है, जिसे ओपनएआई के चैटबॉट चैटजीपीटी द्वारा पॉपुलर बनाया गया है।
अजमेर में जन्मे पराग अग्रवाल एक सुशिक्षित परिवार से हैं। उनके पिता भारतीय एटमिक एनर्जी डिपार्टमेंट में एक वरिष्ठ अधिकारी थे और उनकी मां एक सेवानिवृत्त इकोनॉमिक्स प्रोफेसर हैं।
अग्रवाल ने 77 अखिल भारतीय रैंक (एआईआर) हासिल करने के बाद 2005 में आईआईटी बॉम्बे से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
ग्रेजुएशन के बाद वह स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए।
ट्विटर से जुड़ने से पहले पराग अग्रवाल ने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च और याहू में इंटर्नशिप की थी।
लगभग 6 वर्षों तक ट्विटर पर काम करने के बाद, एडम मेसिंगर के जाने के बाद उन्हें मुख्य टेक्नोलॉजी ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया।