भारतीय सिनेमा का बजट पिछले कुछ सालों में आसमान छू रहा है ! कई फ़िल्मों ने अब तक के सबसे महंगे प्रोडक्शन के नए रिकॉर्ड बनाए हैं।
भारतीय सिनेमा अब पूरी तरह से बदल चुका है। अब यहां हॉलीवुड के जैसी टेक्नीक और साइंस फिक्शन की फिल्मों को भव्य पैमाने पर फिल्माया जाता है।
बॉलीवुड की मूवी भी अब इंटरनेशनल ऑडियंस के हिसाब से बनाई जाने लगी हैं, इसे मल्टी लैंग्वेज में शूट किया जाने लगा है। इसमें स्टेंडर्ड ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया जाता है।
शुरुआती दिनों में, भारतीय फिल्मों को कुछ लाख रुपए में शूट कर लिया जाता था। लेकिन अब टैक्नीक, प्रोडक्शन क्वालिटी और दर्शकों के लॉजिक के हिसाब से महंगी मूवी बनाई जाती हैं।
भारत में हर दौर में फिल्म मेकर ने महंगी फ़िल्मों के लिए निवेश किया है। इसमें बड़े-बड़े सेट, बड़ी स्टार कास्ट, हजारों लोगों को एक साथ फ्रेम में लाने जैसे सीन शामिल किए गए थे।
1970 के दशक में, शोले ने बॉलीवुड में एक्शन फ़िल्मों के लिए नए स्टेंडर्ड बना दिए थे। ये उस समय 3 करोड़ के भारी-भरकम बजट के साथ सबसे महंगी भारतीय फ़िल्म बन गई थी।
1990 के दशक में फिल्मों के बजट में भारी इजाफा देखा गया। त्रिमूर्ति, इंडियन और जींस जैसी फिल्मों में पानी की तरह पैसा बहाया गया था।
2000-20 के दो दशक में एंथिरन, रा.वन और बाहुबली जैसी फिल्मों की कास्ट ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। अब जीएफएक्स टेकनीक ने फिल्मों की मेकिंग को एकदम से बदल दिया।
हाल के वर्षों में, थ्रीडी वीएफएक्स की मदद से शूट हुईं 2.0, RRR, और Kalki 2898 AD ने भारतीय सिनेमा को हॉलीवुड की बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया है।
Kalki 2898 AD (2024) – ₹600 करोड़, RRR (2022) – 550 cr, 2.0 (2018) – 400– 600 cr, Baahubali 2: The Conclusion (2017) – 250 cr, Baahubali: The Beginning (2015) – 180 cr
Dhoom 3 (2013) – 175 cr, Ra.One (2011) – 150 cr, Enthiran (2010) – 132 cr, My Name Is Khan (2010) – 85 cr, Blue (2009) – 80 cr, Ghajini (2008) – 65 cr, Devdas (2002) – 50 cr
Lagaan (2001) 25 cr, Jeans (1998) – 20 cr, Trimurti (1995) – 11 cr, Shanti Kranti (1991) – 10 cr, Ajooba (1991) –8 cr, Razia Sultan (1983) – 7 cr, Shaan (1980) – 6 cr
Sholay (1975) – 3 cr, Mughal-e-Azam (1960) –1.5 cr, Mother India (1957) – 60 lakh, Chandralekha (1948) – 30 lakh, Kismet (1943) – 2 lakh, Sati Savitri (1933) – 75 हजार