सत्ता...सत्ता यानी ताकत...जिस हाथ में सत्ता होती है, वह कहलाता है शासक
सरकार वो चुनिए, जो आपके लिए कड़े निर्णय ले सके, जिसमें दम हो
पहले तो तुम मुझसे सीखा करती थीं, मगर अब सिखाना चाहती हो...
एक हारा हुआ इंसान कभी किसी की जीत बर्दाश्त नहीं कर सकता
गूंगी गुड़िया ने तो अपने बाप को ही नीचे गिराकर उसकी कुर्सी हड़प ली...राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता
बाजपेयी जी, मैं एक राजनेता से मोलभाव करने आई थी, मगर सामने सिर्फ एक सच्चा देश भक्त दिखा
इंदिरा जी देश हमारा भी है
गूंगी गुड़िया अब बोलने लगी है
ये शिमला एग्रीमेंट तो भारत की बहुत बड़ी हार है
यही होता है, जब व्यक्ति देश सेवा के लिए नहीं सत्ता के लिए लड़ता है
सबकी नज़र आपकी कुर्सी पर है कि कब आप कुर्सी से गिरें और ये लपक लें
सम्पूर्ण व्यवस्था बदलने का एक ही रास्ता है...सम्पूर्ण क्रांति
अपनी कुर्सी की रक्षा करना तुम लोगों का कर्तव्य है...एक बार छोड़ दी तो गई
ये देश एक खुली जेल बन जाएगा, पूरी कैबिनेट की सहमति आवश्यक होती है इंदिरा जी
मैं ही कैबिनेट हूं
किसने सोचा था कि लोकतंत्र का ऐसे ही गला घुटेगा...हर आवाज़ जो उसके खिलाफ उठेगी कुचल दी जाएगी
सारे देश में तुम्हारे खिलाफ नफरत का माहौल पैदा होता जा रहा है
नफरत...नफरत...नफरत...और मिला क्या है मुझे इस देश से
इंडिया इज इंदिरा एंड इंदिरा इज इंडिया