महेश भट्ट ने बताया, "मुझे नहीं पता था कि वह बीमार हैं, अचानक मौत की खबर मुझ तक पहुंची, तो उनका स्माइलिंग फेस मेरी आंखों के सामने घूम गया, जो किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देता था।
महेश भट्ट ने बताया कि उन्हें बरबस ही ‘नाम’ फिल्म का गाना चिट्ठी आई है... याद आ गया।" शुरुआत में, वह ( पंकज उधास ) इसमें एक्टिंग करने से झिझक रहे थे।
पंकज उधास ने महेश भट्ट से साफ कह दिया था कि वे महफिल में गाते हैं, एक्टिंग का ककहरा भी नहीं जानते हैं।
महेश भट्ट ने पंकज उधास को महफिल में गाने की तरह ही एक्टिंग करने की सलाह दी थी। फिल्म मेकर ने बताया कि कैसे इस एक गाने ने उनकी तकदीर बदल दी थी।
नाम फिल्म का डायरेक्शन करने वाले महेश भट्ट ने बताया, "उन्हें डर था कि पंकज हमारी उम्मीदों पर खरा उतरेंगे या नहीं, लेकिन उन्होंने जब इसे गाया, हम उसकी कल्पना भी नहीं की थी।
नाम फिल्म का गाना चिठ्ठी आई है, अमर रचना है । बेहद भाग्यशाली हूं कि मैं पंकज जी से मिला और इस गाने ने उन्हें इंडस्ट्री में इतना रुतबा और नाम दिया।
पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। वह ग़ज़लों के अलावा प्ले बैक सिंगिंग और उनपर फिल्माए गानों के लिए भी जाने जाते हैं ।
1980 में सोलो ग़ज़ल एल्बम आहट ने उन्हें काफी पहचान दिलाई। उन्होंने कई हिट फ़िल्मों के गाने गाए। इसमें 1981 में मुकरार, 1982 में तरन्नुम, 1983 में महफ़िल जैसी फिल्में शामिल हैं।
पंकज उधास ने जिन सदाबहार ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दी उनमें चिट्ठी आई है, चांदनी रात में, ना कजरे की धार, और आहिस्ता कीजिये बातें, एक तरफ उसका घर और थोड़ी थोड़ी पिया करो शामिल हैं।
पद्मश्री से सम्मानित पंकज उधास का सोमवार को 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया था । 27 फरवरी को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया ।