जवान मूवी की एडवांस बुकिंग ने ही इसे हिट करा दिया था, वहीं रिलीज़ के बाद शाहरुख की मूवी को दर्शकों का भरपूर प्यार मिल रहा है।
जवानी की रिलीज चुनाव से ठीक पहले की है, इसमें जनता को अवेयर किया गया है कि उन्हें अपना कैंडीडेट चुनते समय बहुत सोच समझकर फैसला करना है। इसमें असल पॉलिटिक्स इन्वॉल्व दिखती है।
जवान में करप्शन के मुद्दे को हाइलाइट किया गया है। हालांकि शाहरुख के इर्द-गिर्द फिल्म को रखने की वजह से इश्यू की स्क्रीन टाइमिंग कम महसूस होती है।
सोशल इश्यू को फिल्म में जगह जरुर दी गई है, जो दर्शकों के इमोशन का भरपूर यूज करता दिखता है। ये कोई प्रोपेगेंडा नहीं है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
जवान की कहानी में कुछ भी नया नहीं है, किसानों और आम आदमी की समस्याएं पर कई फिल्म बन चुकी हैं। सिस्टम के खिलाफ पहले भी कई नायक खड़े हो चुके हैं।
नयनतारा एक्शन सीन में एवरेज ही दिखी हैं । ‘आजाद’ को पकड़ने में फेल होने पर उनका रिएक्शन एकदम कैजुअल दिखता है।
जवान में 6 फीमेल कैरेक्टर है, लेकिन पूरे समय पर्दे पर शाहरुख का ही राज दिखता है। सान्या मल्होत्रा, प्रियमणि जैसे किरदार पूरी कहानी में हैं, लेकिन स्क्रीन टाइम कैमियो जितना है।
फिल्म के कुछ सीन की सीक्वेंस भी दर्शकों को आसानी से हज़म नहीं होते हैं । विक्रम राठौर वाला किरदार आज़ाद की मदद के लिए बड़ी आसानी से काली के अड्डे तक पहुंच जाता है।
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक बहुत शानदार है, लेकिन जवान के गाने पठान की तरह सुपरहिट नहीं है। चलेया और रमैय्या वस्तावैया कुछ दिन चलने वाले सॉन्ग हैं।