प्रिया राजवंश बॉलीवुड एक्ट्रेस थी. जिन्होंने हीर रांझा और हसंते जख्म जैसी हिट फिल्मों में काम किया था। अपने करियर में वह सिर्फ 7 फिल्मों में ही काम कर पाई।
प्रिया राजवंश ने 1964 में आई फिल्म हकीकत से बॉलीवुड में कदम रखा था। इस फिल्म में उनके हीरो धर्मेंद्र थे और डायरेक्टर चेतन आनंद।
फिल्म हकीकत में प्रिया राजवंश को देख चेतन आनंद उनके दीवाने हो गए थे। इसके बाद उन्होंने तकरीबन हर फिल्म उन्हें ही मौका दिया। इस तरह दोनों के बीच नजदीकियां भी बढ़ी।
फिल्मों में साथ काम करते-करते प्रिया राजवंश और चेतन आनंद इतने करीब आ गए कि दोनों ने साथ रहने का फैसला किया। दोनों एक-दूसरे के साथ काफी खुश थे।
1997 में चेतन आनंद का निधन हो गया था। उन्होंने अपनी वसीयत में प्रिया राजवंश का भी नाम रखा और पहली शादी से हुए दो बेटों के साथ अपनी संपत्ति बांटी।
चेतन आनंद के बेटे अपने पिता की वसीयत को प्रिया राजवंश के साथ शेयर नहीं करना चाहते थे। फिर 27 मार्च 2000 को मुंबई में चेतन आनंद के बंगले में उनकी हत्या कर दी गई थी।
चेतन आनंद के बेटे केतन आनंद और विवेक आनंद पर पुलिस ने प्रिया राजवंश की हत्या का आरोप लगाया और जुलाई 2002 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया, आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
चेतन आनंद के बेटों को नवंबर 2002 में जमानत मिली। बॉम्बे हाई कोर्ट, ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया। सुनवाई अभी भी जारी है।
प्रिया राजवंश का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने चेतन आनंद से प्यार किया। इस प्यार की सजा उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। चेतन के बेटे प्रिया को पसंद नहीं करते थे।
प्रिया राजवंश की फिल्मों में एंट्री काफी नाटकीय थी। उनकी एक फोटो ने फिल्ममेकर ठाकुर रणवीर सिंह का ध्यान खींचा। उन्होंने प्रिया को चेतन आनंद से मिलवाया और उन्हें हकीकत (1964) मिली।
बता दें कि प्रिया राजवंश की आखिरी फिल्म हाथों की लकीरें थी, जो 1985 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म के बाद उन्होंने एक्टिंग को अलविदा कह दिया था।