रामानंद सागर ने 80 के दशक में रामायण का निर्माण किया था और इसका प्रसारण दूरदर्शन पर किया गया था। इस धारावाहिक को देखने लोगों में एक अलग ही जोश था।
रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण का प्रसारण 1 साल तक हुआ था। जनवरी 1987 में इसकी शुरुआत हुई थी और जुलाई 1988 में इसका आखिरी एपिसोड टेलीकास्ट हुआ था।
आपको बता दें कि रामानंद सागर ने रामायण के 78 एपिसोड बनाए थे। 80 के दशक में धारावाहिक बनाना आसान नहीं होता था। शो के सेट्स कई तरह की जुगाड़ लगाकर बनाए गए थे।
शुरुआत में रामायण के 45 मिनट के 52 एपिसोड चलाने की प्लानिंग थी। लेकिन पॉपुलैरिटी और डिमांड को देखते हुए इसे 3 बार बढ़ाना पड़ा था और इसके 78 एपिसोड हुए।
रामानंद सागर के बेटे प्रेम सागर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस दौर में VFX तकनीक की जगह जुगाड़ की टेक्निक यूज की गई थी। बादल बनाने के लिए सेट पर रुई का इस्तेमाल किया था।
प्रेम सागर ने इंटरव्यू में बताया था कि शूटिंग के दौरान सुबह के कोहरे के सीन के लिए अगरबत्ती का धुआं यूज किया करते थे। इसके लिए ढेरों अगरबत्ती जलाई जाती थी।
रामायण में कई सीन्स रोंगटे खड़े करने वाले थे। 1 सीन हिमालय पर भोलेनाथ का नृत्य, इसे शूट करने बैकग्राउंड में स्क्रीन का यूज किया था। प्रोजेक्टर की मदद से छोटे ग्रहों को दिखाया था।
रामानंद सागर जिन्होंने रामायण बनाई, उन्होंने खुद भी इस धारावाहिक में अभिनय किया था। वे देवताओं संग कई जगह खड़े नजर आए।
कहा जाता है कि रामायण और महाभारत दोनों को एक साथ प्रसारित करने की योजना थी, लेकिन बाद में पहले रामायण को प्रसारित किया गया, इसके खत्म होने के बाद महाभारत टेलीकास्ट हुआ।