ठंडियों का मौसम आते ही हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल ठंड के कारण खून की मांसपेशियां सुकड़ जाती हैं, जिस कारण ब्लड का बहाव धीमा पड़ जाता है।
सोते समय शरीर की गतिविधि धीमी हो जाती है। ब्लड प्रेशर और शुगर का स्तर भी कम हो जाता है। सुबह उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाता है।
ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम हर मौसम में काम करता है, लेकिन सर्दी में इस सिस्टम के लिए दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे दिल की बीमारी होती हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
ठंड में नसें ज्यादा सिकुड़ती हैं और सख्त बनती हैं। नसों को गर्म करने के लिए ब्लड फ्लो बढ़ता है जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है।
दिल को वैसे भी पम्प करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में अगर आप बहुत ज्यादा पानी पी लेंगे तो हार्ट को पम्पिंग में और भी मेहनत करनी पड़ेगी और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाएगा।
दिल के मरीजों को नमक की मात्रा कम से कम लेनी चाहिए। नमक शरीर में पानी को रोकता है। ऐसे में दिल को फिर ज्यादा मेहनत करनी होगी। नतीजा हार्ट अटैक के रूप में आ सकता है।