हलासन को करने से कब्ज, बदहज मी और पेट संबंधी सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। पाचन क्रिया की मजबूती के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
यह आसन डिप्रेशन के लक्षण को कम करने में फायदेमंद रहता है। पीठ की मांसपेशियो को मजबूत करने में प्रभावी होता है और रीढ़ को लचीला बनाता है।
छाती, गर्दन, और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है। मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव व हल्के अवसाद को कम करने में मदद करता है। साथ ही पाचन में सुधार लाता है।
यह आसान रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है। छाती और फेफड़ों, कंधों और पेट की मांसपेशियों को फैलाता है। साथ तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।
यह आसन करने से गर्दन, पीठ, कमर और पैर के स्नायु मजबूत होते हैं। शरीर का संतुलन ठीक होता हैं। साथ ही इससे एसिडिटी से छुटकारा मिलता है।
सही तरीके के साथ नियमित रूप से पश्चिमोत्तानासन करने से आपकी रीढ़ संबंधी सभी समस्याएं दूर होती हैं। ये मस्तिष्क शांत और मानसिक समस्याएं कम करता है।
यह आसन रीढ़ और गर्दन को मजबूत बनाने और स्ट्रेचिंग में सहायक है। कूल्हों, पेट और पीठ को स्ट्रेच करता है। साथ ही शारीरिक-मानसिक समन्वय बढ़ाता है।
इससे हाथ, पैर, रीढ़ की हड्डी, पेट की मसल्स मजबूत आती है। सीने की मांसपेशी खुल जाती है व कंधों को स्ट्रेच मिलता है। हिप फ्लेक्सर और ग्लूट मजबूत बनती है।