इस साड़ी को बनाने में 1 साल से भी अधिक समय लगता है। 200 थ्रेड काउंट वाली बेस साड़ी को शक्ति, शान्ति और परिवर्तन का प्रतीक मानते हैं। इसकी कीमत 5 हजार रुपये से लेकर 4 लाख रुपये तक है।
तमिलनाडू की पारंपरिक साड़ी कांजीवरम 75 वर्षों से अधिक समय से लोगों को आकर्षित करती रही है। इसे रेशम के धागों से बनाया जाता है। इसका मूल्य 12 हजार रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक है।
गुजरात की पटोला साड़ी को बनाने में कारीगरों को 3 से 4 महीने का समय लगता है। यह 100 वर्षों तक भी पुरानी नहीं होता है। इसकी कीमत 3 हजार से लेकर 1 लाख तक है।
इस साड़ी को बनाने मे कम से कम दो कारीगरों की जरुरत होती है। देश में इसकी डिमांड कम है और इसे सिर्फ ऑर्डर पर बनाया जाता है। इसकी कीमत 5 हजार रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक है।
केरल राज्य की ट्रेडिशनल साड़ी कसावू को सेत्तु साड़ी के नाम से भी जानते हैं। कसावू साड़ी अब सुनहरे मीठे बॉर्डर में आती है। इसकी कीमत 5 हजार से लेकर 6 लाख रुपए तक है।
बनारसी साड़ी की पहचान सोने और चांदी की जरी के काम से है। इसकी डिजाइन जटिल होती है। साड़ी की चार शुद्ध किस्में रेशम, जोर्जेट, ऑर्गेना और शतीर है। ये 4 हजार से 5 लाख रुपये तक होती है।
असम की ट्रेडिशनल साड़ी है जिसे भारत की सबसे महंगी साड़ी कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि, यह साड़ी जितनी पुरानी होगी इसकी चमक बढ़ती जाएगी। ये 2 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक मिलती है।