चंद्रयान -3 के लैंडिंग करने के बाद कई अहम जानकारी वैज्ञानिकों को मिलेगी। रेडवायर स्पेस के मुख्य विकास अधिकारी माइक गोल्ड ने कहा कि इन जानकारियों के जरिए चांद पर घर बसाए जाएंगे।
चंद्रयान-3 मिशन महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा, जिससे हम चांद को समझ सकेंगे। इससे यह पता लगाया जाएगा कि किस जगह पर इंसानी जिंदगी को बसाया जा सकता है।
अपोलो 17 के अंतरिक्ष यात्री यूजीन सर्नन और हैरिसन श्मिट के पास चंद्रमा पर सबसे लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड है। वो वहां 75 घंटे रहे थे। सवाल क्या हम कभी चंद्रमा पर रहेंगे।
चंद्रमा पर बसन से पहले कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि जिस तरह से हम आगे बढ़ रहे हैं बहुत मुमकीन है कि हमारा सपना वहां रहने का पूरा हो जाएगा।(source :www.iop.org)
चंद्रमा पर राशन और संसाधनों को भेजने की चुनौती सामने आएगी। यह बहुत भारी होंगे जिसे रॉकेट ले जाने में सक्षम नहीं होंगे। इसलिए चांद पर ही उपलब्ध संसाधनों से बहुत कुछ बनाना होगा।
चंद्रमा पर सबसे पहले सांस लेने लायक हवा बनानी होगी। चंद्रमा की मिट्टी में 42% ऑक्सीजन है। गर्मी और बिजली का उपयोग करके ऑक्सीजन बना सकते हैं और रोबोट द्वारा एकत्र किया जा सकता है।
धरती से उपजाऊ मिट्टी चांद पर ले जाना मुमकीन नहीं है। चांद की मिट्टी में सुधार करके पौधे उगा सकते हैं। धरती से केवल बीज और केंचुए ही लाने होंगे।
केंचुए चांद की खराब मिट्टी की संरचना में सुधार कर सकते हैं। दरअसल,कीड़े कार्बनिक पदार्थों का पुनर्चक्रण करते हैं और मिट्टी की संरचना में बदलाव करते हैं।
हवा, पानी और भोजन बुनियादी जरूरत के अलावा घर बनाने की चुनौती होगी। इन्फ्लेटेबल के जरिए यहां पर घर बनाया जा सकता है। क्योंकि यह काफी हल्का होता है।
यूरोपीय वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की मिट्टी से ईंटों को 3डी प्रिंट करने की एक तकनीक विकसित की है। इस ईंट बने घर हानिकारक किरण से बचाएंगे और गिरते उल्कापिंड से भी रक्षा करेंगे।