हर महिला का बिना लिपिस्टिक मेकअप पूरा नहीं होता है। 5000 साल पहले (2500 ईसा पूर्व) होंठों को रंगने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। तभी लिपिस्टिक का आविष्कार हुआ था।
जब लिपिस्टिक का आविष्कार हुआ तो इसका नाम लिपिस्टिक नहीं था। चुकीं हजारों सालों पहले फूलों और पत्थरों को पीसकर होंठ रंगे जाते थे तो इसे अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था।
लिपिस्टिक एक इंग्लिश शब्द है। लिपिस्टिक को हिंदी में 'सुर्खी' कहते हैं। सुर्खी का मतलब रंग यानी लाली(लाल) से है। सुनकर आई न हंसी?
भले ही लिपिस्टिक को सुर्खी कहते हो लेकिन आज के समय में लिपिस्टिक का रंग सिर्फ लाल नहीं है। मार्केट में इस वक्त लिपिस्टिक के हजारों शेड्स मिल जाएंगे जिनमें काला रंग भी शामिल है।
बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि भारत में होंठ रंगने के लिए अक्सर लड़कियां पान के पत्ते का इस्तेमाल करती थी।
लिपिस्टिक को हिंदी में होंठलाली के नाम से भी जाना जाता है। खैर सुर्खी या फिर होंठलाली का नाम लेकर अगर आप दुकानदार से लिपिस्टिक मांगेगी तो यकीनन उसे भी हंसी आ जाएगी।