शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर घरों में कन्याओं को बुलाकर कन्या भोज किया जाता है और उन्हें भोजन कराया जाता है। इसके बाद दक्षिणा भी दी जाती है।
नवरात्रि के दौरान कन्याओं को घर बुलाकर डायरेक्ट खाना खिलाने की जगह पहले उनके पैर धुलवाकर पैरों में आलता लगाएं, उसके बाद उन्हें कन्या भोज कराएं।
नवरात्रि के दौरान कन्या भोज के समय इस बात का ध्यान रखें कि जिन कन्याओं का आप भोजन करा रहे हैं उनकी उम्र तीन से 12 साल के बीच होनी चाहिए।
कन्या भोजन में पक्का भोजन ही कन्याओं को खिलाया जाता है, जिसमें हलवा, पूरी, चने और एक फल शामिल होता है। उन्हें कच्चा भोजन जैसे दाल-चावल, रोटी सब्जी नहीं खिलाना चाहिए।
कन्याएं जो खाना छोड़ कर चली जाती है, उसे कचरे में ना फेंके, बल्कि उस खाने को आप गाय को खिला सकते हैं।
अक्सर लोग कन्याओं को केवल पैसे देकर घर से विदा कर देते हैं, जबकि उन्हें कोई वस्त्र जरूर देना चाहिए। आप उन्हें एक छोटी सी चुन्नी या रूमाल भी दे सकते हैं।
जब आप छोटी बच्चियों को कन्या भोज में दक्षिणा दें, तो उन्हें थोड़े से चावल हाथ में दें और इस चावल को घर में छिड़कने को कहें।