तालिबान ने हाल ही में एक मौखिक फरमान जारी किया है, जिसमें काबुल और देश के अन्य प्रांतों में महिलाओं के ब्यूटी सैलून पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
तालिबान की वाइस एंड सदाचार मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद आकिफ महाजर ने काबुल नगरपालिका को महिलाओं के ब्यूटी सैलून के लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया।
तालिबान के इस फरमान को लेकर सैलून से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि वह काम नहीं करे तो क्या मर जाए? पुरुषों के पास नौकरी नहीं है इसलिए हमें घर से बाहर निकल कर काम करना पड़ता है।
सिर्फ सैलून जाने पर ही नहीं तालिबान में महिलाओं पर कई क्रूर कानून लगाए जाते हैं। कई महिलाएं हाउस टेरेस में रहती हैं और उन्हें पढ़ने या काम करने की आजादी नहीं होती है।
तालिबान में 8 साल से ज्यादा की लड़की को बुर्का पहनना जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है।
इतना ही नहीं महिलाओं को ऊंची हील वाले जूते पहनने की भी मनाही होती है। साथ ही जब वह घर से बाहर निकलती है तो उनके साथ एक मर्द होना जरूरी है।
तालिबान में कई जगह औरतें अपनी बालकनी में नहीं जा सकती ताकि किसी अजनबी की नजर उन पर ना पड़े। इतना ही नहीं अखबार, किताब और दुकानों में महिलाओं की तस्वीर और पोस्टर लगाना भी मना है।
तालिबान के साथ ही दुनिया के 16 देशों में शरिया कानून लागू किया गया है। तालिबान में शरिया कानून के तहत महिलाओं के जेनिटल काट देना, बाल विवाह, बहु विवाह होना आम है।
इस्लामिक अमीरात ने लड़कियों और महिलाओं के स्कूल, कॉलेज और गैर सरकारी संगठनों में काम करने पर बैन लगाया है और पार्क, सिनेमा और अन्य एंटरटेनमेंट की जगह पर जाने की मनाही है।