ब्रा का इतिहास 18वीं शताब्दी से है जब ग्रीस और रोम में महिलाएं अपने स्तनों को सहारा देने के लिए ऊन से बनी हुई ब्रा पहनती थी।
19वीं शताब्दी में जब महिलाओं ने ब्रा पहनना शुरू किया, तो इसे brassiere नाम से जाना जाता था।
ब्रा का फुल फॉर्म होता है ब्रेस्ट रेस्टिंग एरिया (breast resting area) यानी कि ऐसा गारमेंट जिसमें ब्रेस्ट को आराम मिले।
ब्रा एक अंग्रेजी वर्ड है इसे हिंदी में चोली कहा जाता है। भारत में अमूमन लोग ब्लाउज को भी चोली कहते हैं लेकिन ब्रा को भी चोली ही कहा जाता है।
ब्रा पहनने से स्तनों को सपोर्ट मिलता है। ब्रेस्ट सुडौल और फर्म बनते हैं।
मार्केट में आपको कई तरह की ब्रा मिलती है, जिसमें सबसे कॉमन स्पोर्ट्स ब्रा, वायर्ड ब्रा, नॉन वायर्ड ब्रा, पैडेड ब्रा, फुल कवरेज ब्रा, ब्रॉलेट, पुश अप ब्रा, स्टैपलर्स ब्रा आदि।
ब्रा पहनने से आपके शरीर का पोश्चर सही दिखता है। कॉन्फिडेंट फील होता है, क्योंकि स्तन सुडौल दिखते हैं और इसे पहनने से स्तनों में दर्द भी नहीं होता है।
ब्रा पहन कर सोने से कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन इसे पहन के सोने से कंफर्टेबल फील नहीं होता। ऐसे में आप रात के समय ब्रा उतार कर सो सकते हैं।