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"बच्चों की तुलना करना", क्यों है पैरेंटिंग की सबसे बड़ी गलती?

बच्चों की तुलना दूसरों से न करें
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विभिन्नता का सम्मान

सभी बच्चे एक जैसे नहीं हो सकते, सभी माता-पिता को यह समझना चाहिए। तुलना करके बच्चे की विभिन्नता को दबा दिया जाता है, जिससे बच्चा कुछ यूनिक नहीं कर पाता। 

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आत्मविश्वास में कमी

यदि आप अपने बच्चे की तुलना दूसरों से करते रहेंगे तो उनका आत्मविश्वास कम होगा।

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तनाव बढ़ेगा

अपने बच्चे की दूसरों से लगातार तुलना करने से बच्चे में तनाव बढ़ेगा और चिड़चिड़ापन होगा। इसके अलावा आपके बच्चे और आपके बीच दूरियां बढ़ने लगेगी।

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व्यवहार में बदलाव

बच्चे की तुलना दूसरों से करने से उसके व्यवहार और व्यक्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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हीन भावना

बच्चों की तुलना करने से उनमें हीन भावना पैदा होती है जिससे वे हर चीज से डरने लगते हैं, अपने आपको कमजोर, बेकार और नकारा मानने लगते हैं।

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अस्वीकृति की भावना

बच्चों की तुलना करने से उन्हें अस्वीकृति का एहसास होता है। परिणामस्वरूप, कम उम्र में ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

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