डेथस्टॉकर बिच्छू का जहर बहुत शक्तिशाली होता है। इससे भयानक दर्द और लकवा हो सकता है। जानलेवा एलर्जी होती है। इसके चलते मौत तक हो जाती है। अफ्रीका और अरब के रेगिस्तानों में रहता है।
पीला मोटा-पूंछ वाला बिच्छू एन्ड्रोक्टोनस ऑस्ट्रेलिस उत्तरी अफ्रीका व दक्षिण पूर्व एशिया में रहता है। इसका विष काफी घातक होता है। समय पर इलाज न मिले तो मौत हो सकती है।
अरबियन फैट-टेल्ड बिच्छू के जहर में कार्डियोटॉक्सिन, मायोटॉक्सिन और न्यूरोटॉक्सिन होते हैं। इलाज नहीं मिले तो मौत हो सकती है। यह लकड़ी के ढेर, चट्टानों के नीचे और पेड़ में छिपता है।
ब्राजीलियन पीला बिच्छू का जहर मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। समय पर इलाज न किया जाए तो दिल काम करना बंद कर देता है, जिससे इंसान की मौत हो जाती है।
रफ थिकटेल बिच्छू दक्षिणी अफ्रीका में रहता है। इनके जहर का इस्तेमाल दवा बनाने में सबसे अधिक होता है। इसके डंक से हाइपरएस्थीसिया, ऐंठन, दर्द और पेरेस्थीसिया हो सकता है।
एरिजोना बार्क बिच्छू उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं। इस बिच्छू का जहर बहुत दर्दनाक हो सकता है। इसके डंक से उल्टी, झुनझुनी और सुन्नता होती है। सांस लेने में तकलीफ होती है।
भारतीय लाल बिच्छू डंक मार दे तो तेज दर्द, पसीना आना, उल्टी, सांस लेने में तकलीफ, असामान्य हृदय गति, सायनोसिस और अन्य लक्षण दिखते हैं। इलाज नहीं मिलने पर मौत हो सकती है।
तंजानियाई लाल-पंजे वाले बिच्छू आक्रामक होता है। यह बहुत जल्दी डंक मार देता है। इसका जहर हल्का होता है। इसलिए इससे मौत नहीं होती।
वियतनाम फॉरेस्ट बिच्छू आक्रामक होता है। इसके डंक के लक्षणों में लालिमा, सूजन व गंभीर दर्द शामिल हैं। जहर मनुष्यों के लिए घातक नहीं है। केवल हल्के पक्षाघात के कारण हो सकता है।