92 साल की उम्र में देश के पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. मनमोहन सिंह इस दुनिया से चले गए। जाते-जाते एक चाहत उनके दिल में ही दबी रह गईं, जो कभी पूरी नहीं हो पाई।
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आ गया लेकिन जेहन से कभी गांव नहीं निकला और यादें हमेशा ताजा रहीं।
मनमोहन सिंह काफी छोटे थे, तब उनकी मां का निधन हो गया था। उनकी परवरिश दादा ने की लेकिन एक देंगे में उनकी हत्या कर दी गई। फिर पिता के पास पेशावर गए। विभाजन बाद भारत आ गए।
कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने एक इंटरव्यू में बताया, 'जब मनमोहन सिंह विदेश में नौकरी करते,तब पाकिस्तानी दोस्त के साथ रावलपिंडी गए थे लेकिन अपने गांव नहीं जा पाए थे, जिसका मलाल रहा'
राजीव शुक्ला ने बताया, 'प्रधानमंत्री रहते मनमोहन सिंह एक बार पाकिस्तान अपने गांव जाना चाहते थे, जहां पले-बढ़े थे। उस स्कूल जाना चाहते थे, जहां पढ़े थे लेकिन कभी जा नहीं पाए।'
राजीव शुक्ला ने कहा, 'एक बार मैं मनमोहन सिंह के साथ पीएम हाउस में बैठा था। बातचीत में उन्होंने कहा मेरा पाकिस्तान जाने का बहुत मन है। मैं एक बार अपने गांव जाना चाहता हूं।'
जब राजीव शुक्ला ने पूर्व पीएम से पूछा कि क्या अपना पुश्तैनी घर देखना चाहते हैं, तब जवाब था 'मेरा घर तो काफी पहले खत्म हो गया, मैं तो वो स्कूल देखना चाहता हूं जहां चौथी तक पढ़ा था'
कभी ऐसा संयोग नहीं बना कि मनमोहन सिंह गांव जाकर स्कूल देख पाए, जहां से शुरुआती शिक्षा ली।' वह स्कूल पाकिस्तान के गाह गांव में है। जिसका नाम अब मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल है।