शराब घोटाले में दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। इस बीच लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। ऐसे में उन्हें लेकर कई सवाल हैं। एक सवाल यह भी है कि क्या वह वोट डाल पाएंगे।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act) 1951 की धारा 62(5) के तहत जेल में बंद किसी भी शख्स के पास वोटिंग का अधिकार नहीं है। हिरासत या सजा काटने वाले कोई भी वोट नहीं डाल सकता है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वोट डालना एक कानूनी अधिकार है। ऐसे में अगर कोई कानून का ही उल्लंघन करता है तो उसका यह अधिकार खुद ही खत्म हो जाता है।
अगर किसी को नजरबंद यानी प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखा गया है तो वोट डाल सकते हैं। पुलिस घेरे में बूथ जाते हैं या उन्हें प्रशासन को बताना पड़ता है कि किस बूथ पर वोट डालने जा रहे हैं।
इस पर काफी चर्चा होती रही है। माना गया है कि कई बार राजनैतिक द्वेष से भी विपक्ष को जेल करवा दिया जाता है, ऐसे में जेल में रहकर काबिल इंसान भी चुनाव नहीं लड़ पाता जो सही नहीं है।
साल 2013 में RP Act के सेक्शन 62(5) में संशोधन कर यही तर्क दिया गया। इसमें जेल में रहकर चुनाव लड़ने का अधिकार दे दिया गया। वे अपने लोगों से चुनाव प्रचार करवा सकते हैं।
जेल में रहकर चुनाव तो लड़ा जा सकता है, उसका प्रचार अपने करीबियों से करवाया जा सकता है लेकिन वोट नहीं डाल सकते हैं। बेल पर बाहर आने के बाद भी वोटिंग का अधिकार नहीं मिलता है।
अगर जेल में बंद कैदी अपनी सजा पूरी कर चुका है या उसे आरोप मुक्त यानी बरी कर दिया गया है तो वह वोट डाल सकता है, उसे वोटिंग राइट मिल जाती है।