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Same Sex Marriage को मंजूरी नहीं, जानें SC के फैसले की 10 बड़ी बातें

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समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों के लिए बनेगी कमेटी

एक कमेटी बनाई जाएगी जो समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, ज्वॉइंट अकाउंट खुलवाने, पेंशन, ग्रैच्युटी से मिलने वाले अधिकार सुनिश्चित करने के मसलों पर विचार करेगी।

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समलैंगिक समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव न हो

CJI ने कहा- केंद्र और राज्य सरकार इस बात का ध्यान रखें की समलैंगिक समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव न हो।

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समलैंगिक लोगों की शिकायतों के लिए हो हेल्पलाइन नंबर

CJI ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इनके लिए सेफ हाउस, ट्रीटमेंट, एक हेल्पलाइन फोन नंबर जिस पर वो अपनी शिकायत कर सकें, बनाया जाए।

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किसी बच्चे का सेक्स चेंज ऑपरेशन तभी हो, जब वो समझने योग्य हो जाए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसी बच्चे का सेक्स चेंज ऑपरेशन तभी हो, जब वो इसके बारे में समझने योग्य हो जाए। किसी को जबरन सेक्स प्रवृत्ति में बदलाव वाला हार्मोन न दिया जाए।

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समलैंगिक जोड़ों को परिवार के पास लौटने का दबाव न बनाया जाए

समलैंगिक जोड़ों को उनकी मर्जी के खिलाफ परिवार के पास लौटने का दबाव न बनाया जाए। ऐसे जोड़ों के खिलाफ FIR शुरुआती जांच के बाद ही दर्ज हो। पुलिस उन्हे बेवजह परेशान न करें।

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समलैंगिकता मानसिक बीमारी नहीं

CJI ने कहा- ये कहना ठीक नहीं होगा कि सेम सेक्स सिर्फ शहरों तक ही सीमित है। गांव में खेती-किसानी में लगी एक महिला भी समलैंगिक होने का दावा कर सकती है। समलैंगिकता मानसिक बीमारी नहीं।

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सबको है जीवनसाथी चुनने का अधिकार

CJI ने अपने फैसले में कहा- साथी चुनने का अधिकार सबको है। कौन पार्टनर हो और किसके साथ कौन रहे यह अधिकार मिला हुआ है। पार्टनर चुनने का अधिकार जीवन के सबसे अहम फैसले में से एक है।

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कौन बेहतर पैरेंट्स है और कौन नहीं, इसका अनुमान लगाना कठिन

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये स्टीरियोटाइप बात है कि हेट्रो बेहतर पैरेंट्स होंगे और होमो नहीं। यह अनुमान नहीं हो सकता कि कौन बेहतर पैरेंट्स है और कौन नहीं?

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कोर्ट कानून नहीं बना सकता, सिर्फ व्याख्या कर सकता है

CJI ने कहा कोर्ट कानून नहीं बना सकता, सिर्फ व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, ये तय करना संसद का काम है।

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