18-22 सितंबर तक बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक 2023 पेश किया जाएगा।
इस बिल को 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किया गया था। इस बिल के पास होने पर निर्वाचन आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तें और कार्य संचालन) एक्ट 1991 निरस्त होगा।
नए बिल से मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट और भारत के चीफ जस्टिस का दखल खत्म हो जाएगा।
अभी मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली चयन समिति में CJI हैं। बिल में उन्हें हटाने का सुझाव दिया गया है। उनकी जगह केंद्रीय मंत्री लेंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्त (ईसी) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। नियुक्ति चयन समिति के सुझावों पर की जाती है।
चयन समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री, सदस्य लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा सदस्य के रूप में नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री होंगे।
लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को चयन समिति का सदस्य बनाया जाएगा।
कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली खोजबीन समिति पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी। इस पैनल में शामिल लोगों में से एक की नियुक्ति पर चयन समिति द्वारा विचार किया जाएगा।
जो व्यक्ति केंद्र सरकार के सचिव के पद के बराबर पद पर हैं या ऐसे पद पर रह चुके हैं वे CEC और EC के रूप में नियुक्त होने के पात्र होंगे। चुनाव प्रबंधन और संचालन में विशेषज्ञता चाहिए।