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पत्नी से अधिक समय तक दूर या पास क्यों नहीं रहना चाहिए?

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पत्नी से अधिक दूर और अधिक पास क्यों न रहें?

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में लाइफ मैनेजमेंट के कईं सूत्र बताए हैं। ये सूत्र आज के समय भी काम के हैं। चाणक्य नीति से जानिए किन लोगों से न अधिक दूर न अधिक पास रहना चाहिए…

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चाणक्य नीति का श्लोक

अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदा:।
सेवितव्यं मध्यभागेन राजा वह्निर्गुरु: स्त्रिय:।।

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श्लोक का अर्थ

राजा, अग्नि, गुरु और स्त्री से न तो अधिक देर दूर रहना चाहिए और न अधिक देर पास। ऐसा करने से हानि संभव है। इसलिए इन चारों के साथ रहते हुए बीच का मार्ग अपनाना चाहिए।

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पत्नी के साथ कैसे रहें?

आचार्य चाणक्य के अनुसार, पत्नी से अधिक समय दूर नहीं रहना चाहिए, इससे उसका आचरण बिगड़ सकता है। अधिक समय पास रहने से पति की सेहत पर बुरा असर हो सकता है।

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राजा से कैसा व्यवहार करें?

आचार्य चाणक्य के अनुसार, राजा यानी कोई बड़ा मंत्री या राजनेता से न तो ज्यादा नजदीकी बढ़ानी चाहिए और न ही इनके विपरीत जाना चाहिए। ये दोनों स्थिति नुकसानदायक होती है।

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अग्नि के नजदीक क्यों न जाएं?

आचार्य चाणक्य के अनुसार, यदि आप अग्नि के ज्यादा नजदीक जाएंगे तो इससे जलने की संभावना रहेगी और दूर जाएंगे तो उसके ताप का सुख नहीं मिलेगा। यहां भी बीच की स्थिति अपनाएं।

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गुरु से दूरी क्यों जरूरी?

गुरु से ज्ञान प्राप्त करते समय भी संयमित रहना चाहिए। गुरु के साथ ज्यादा देर रहने से आप स्वयं को अधिक बुद्धिमान समझ सकते हैं और अधिक दूर रहने से आपको ज्ञान की प्राप्ति नहीं होगी।

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