माघ कृष्ण एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 6 फरवरी, मंगलवार को है। इस दिन तिल का उपयोग 6 कामों में करना चाहिए। जानें कौन-से हैं वो 6 काम…
षटतिला एकादशी पर तिल मिले पानी से नहाने का महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से पाप कर्म समाप्त हो जाते हैं, वहीं तिले मिले पानी से स्नान करने से त्वचा चमकदार और कोमल हो जाती है।
षटतिला एकादशी पर तिल का उबटन लगाने का भी विधान है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और ठंड के कारण हुए त्वचा के रोगों में भी आराम मिलता है।
षटतिला एकादशी पर तिल मिला पानी पीने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और अनिद्रा में भी राहत मिलती है। तिल मिला जल पीने से अच्छी बुद्धि मिलती है जिससे धर्म-कर्म में मन लगता है।
इस एकादशी व्रत में तिल मिश्रित भोजन करने की परंपरा भी है। ठंड में तिल से बनी चीजें खाने से शरीर को पर्याप्त गर्मी व ऊर्जा मिलती है नहीं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, तिल का दान करने से पापों का नाश होता है और भगवान विष्णु अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं। तिल दान से पितरों की आत्मा प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।
षटतिला एकादशी पर तिल से हवन करने की परंपरा भी है। तिल से हवन करने से वायुमंडल सुगंधित होता है और बैक्टीरिया नष्ट होते हैं। भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और समृद्धि मिलती है।