हिंदू धर्म में महिलाओं को देवी का अवतार माना गया है। उन्हें सभी तरह की स्वतंत्रता भी दी गई है, लेकिन कुछ मौकों पर महिलाओं को चुप रहने की सलाह भी धर्म ग्रंथो में दी गई है।
धर्म ग्रंथों में बताए गए लाइफ मैनेजमेंट के अनुसार, महिलाएं यदि कुछ खास मौकों पर बोलने की बजाए चुप रहे तो उनका सम्मान बना रहता है। आगे जानिए कौन-से हैं वो 4 मौके…
यदि पति किसी बात पर गुस्सा हो तो उस समय पत्नी को चुप रहना चाहिए। पत्नी भी यदि बोलेगी तो बात और बढ़ेगी, जिससे वैवाहिक जीवन में की परेशानियां और अधिक बढ़ सकती हैं।
महिलाओं के परिवार के बुजुर्गों के सामने भी ज्यादा नहीं बोलना चाहिए यानी चुप ही रहना चाहिए। बहुत जरूरी हो तो अपनी बात शांति से उनके सामने रखें, जिससे बुजुर्गों का अपमान न हो।
पति के साथ या अन्य किसी मौके पर पूजा, यज्ञ, हवन आदि करते समय भी महिलाओं को ज्यादा बोलना नहीं चाहिए। ये सभी काम शांति पूर्वक करना चाहिए, तभी इनका फल मिलता है।
जब भी शोक यानी दुख के मौके पर किसी के यहां आना-जाना का संयोग बने तो वहां भी महिलाओं को चुप ही रहना चाहिए। ऐसे मौकों पर ज्यादा बोलना अशिष्ठता मानी जाती है।