नवरात्रि के दौरान कईं मंदिरों में देवी को पशु बलि की जाती है। कुछ स्थानों पर सात्विक बलि देने की परंपरा है। सात्विक बलि में एक खास सब्जी का उपयोग होता है। जानें कौन-सी है वो सब्जी…
कई स्थानों पर परंपरा के अनुसार कोहढ़ा जिसे कद्दू भी कहते हैं की बलि देने की परंपरा है। कद्दू से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हमारे समाज में प्रचलित हैं।
बलि देने के लिए पीले नहीं बल्कि भूरे कद्दू का उपयोग किया जाता है। ये कद्दू के पकने से पहले की अवस्था होती है। इसका रंग हल्का भूरा होता है।
देश के कई हिस्सों में कद्दू की बलि देने की परंपरा है। अनेक देवी मंदिरों में नवरात्रि के दौरान कद्दू की बलि मुख्य रूप से दी जाती है। ये परंपरा काफी प्राचीन है।
कद्दू की बलि पशु बलि के समान ही फल देने वाली मानी गई है। देवी कूष्मांडा को कद्दू की बलि देने से हर परेशानी दूर हो सकती है, ऐसी मान्यता है।
मान्यता है कि कद्दू परिवार के बड़े बेटे के समान होता है। इसका काटना बेटे की बलि देने जैसा माना गया है। इसलिए सामान्य रूप से भी महिलाएं कद्दू नहीं काटती।