इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर से शुरू हो चुका है, जो 23 अक्टूबर तक रहेगा। नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन एक अनिवार्य परंपरा है। अधिकांश लोग ये परंपरा निभाते हैं।
कन्या पूजन को कंजक पूजा भी कहते हैं। नवरात्रि के दौरान अधिकांश लोग कन्या पूजन जरूर करते हैं। ये परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, 12 साल तक की लड़की को साक्षात देवी का स्वरूप माना गया है। नवरात्रि के दिनों में कन्या पूजन करने से ऐसा माना जाता है कि आपने साक्षात देवी की पूजा की है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, 1 से लेकर 12 साल तक की कन्याओं का पूजन करने से अलग-अलग शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसका वर्णन देवी पुराण में भी मिलता है।
कन्या पूजन नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर करना चाहिए। इस बार नवरात्रि की अष्टमी तिथि 22 अक्टूबर को और नवमी तिथि 23 अक्टूबर को है। ये दोनों दिन कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ हैं।
कन्याओं को घर बुलाएं, उनके पैर धोएं। आसन पर बैठाकर भोजन करवाएं। इसके बाद उन्हें कुछ उपहार भी दें। घर के बाहर तक सम्मान पूर्वक छोड़ने जाएं। ये कन्या पूजन की संक्षिप्त विधि है।
दुर्गा अष्टमी यानी 22 अक्टूबर, रविवार को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:26 से शाम 06:44 बजे तक रहेगा। यानी इस दिन आप पूरे दिन कन्या पूजन कर सकेंगे।
महानवमी यानी 23 अक्टूबर, सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:27 से शाम 05:14 तक रहेगा, इस दिन भी शाम 05:14 तक का समय कन्या पूजन के लिए श्रेष्ठ है।