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14 अक्टूबर को दुर्लभ संयोग, पितरों के साथ शनिदेव को भी करें प्रसन्न

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श्राद्ध की अंतिम तिथि अमावस्या

इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है। श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध एक साथ किया जा सकता है। इसलिए इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं।

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कब है सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या?

इस बार सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार को है। ये तिथि न सिर्फ पितृ दोष शांति के लिए खास है बल्कि इस दिन कालसर्प दोष आदि की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है।

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शनिश्चरी अमावस्या भी इस दिन

इस बार श्राद्ध पक्ष की अमावस्या शनिवार को होने से ये शनिश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी। इसलिए इस दिन किए गए श्राद्ध, दान, उपाय और पूजा आदि का महत्व भी कईं गुना बढ़ जाएगा।

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शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व

शनिश्चरी अमावस्या होने से इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है। जिन लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है, वे इस दिन कुछ खास उपाय करें तो उनकी परेशानी कम हो सकती है।

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कब बना था ये संयोग?

पंचांग के अनुसार इसके पहले साल 2019 में भी 28 सितंबर को सर्वपित मोक्ष अमावस्या शनिवार की थी। यानी 4 साल पहले भी सर्वपितृ और शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बना था।

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क्यों खास है ये संयोग?

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या को पितृ दोष और कालसर्प दोष शांति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस बार ये तिथि शनिवार को होने से ये शनि दोष शांति के लिए भी खास दिन बन गया है।

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