धर्म ग्रंथों में शिवजी के अनेक अवतारों के बारे में बताया गया है। इनमें से 2 अवतार ऐसे भी हैं जो आज भी जीवित हैं। आज हम आपको शिवजी के प्रमुख 8 अवतारों के बारे में बता रहे हैं…
द्वापरयुग में रुद्र के एक अंश ने अश्वत्थामा के रूप में जन्म लिया था। श्रीकृष्ण ने इन्हें जीवित रहने का श्राप दिया था। मान्यता है कि अश्वत्थामा आज भी धरती पर निवास करते हैं।
जब ब्रह्मदेव स्वयं पर अहंकार हो गया तो महादेव ने भैरव अवतार लेकर उनका एक मस्तक काट दिया था। शिवजी का ये रूप अत्यंत भीषण हैं। इनकी पूजा तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए की जाती है।
ग्रंथों के अनुसार, ऋषि दुर्वासा महादेव के अवतार थे। ये अत्यंत क्रोधी थे, जिनसे देवता और असुर भी घबराते थे। इनके क्रोध के कारण ही श्रीराम को अपने भाई लक्ष्मण का त्याग करना पड़ा था।
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता के लिए महादेव ने हनुमान के रूप में जन्म लिया था। माता सीता ने इन्हें अमरता का वरदान दिया था। इसलिए मान्यता है कि हनुमानजी आज भी जीवित हैं।
ये भगवान शिव के वाहन भी हैं और अवतार भी। शिवपुराण के अनुसार, शिलाद मुनि के पुत्र के रूप में महादेव स्वयं नंदी बनकर प्रकट हुए थे। शिवजी के साथ नंदी की पूजा भी जरूर की जाती है।
दधिची ऋषि के पुत्र थे पिप्पलाद। इन्होंने शनिदेव पर ब्रह्मदंड का वार कर दिया था, जो उनके पैरों में लगा। इसके बाद ही शनिदेव की गति धीमी हो गई। इनकी पूजा से शनि दोष नहीं होता।
नृसिंह अवतार के क्रोध को शांत करने के लिए महादेव ने शरभ अवतार लिया था। इस अवतार में उनका स्वरूप एक अत्यंत विशाल पक्षी का था, जिसने नृसिंह को अपनी पूंछ में लपेट लिया था।
महादेव ने क्रोध में आकर वीरभद्र अवतार लिया था, जिसने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का नाश कर दिया था। स्वयं भगवान विष्णु भी शिव के इस अवतार का सामना नहीं कर पाए थे।