इस बार 20 अक्टूबर, रविवार को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व में चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा क्यों की जाती है, आगे जानिए…
चंद्रमा की 27 पत्नियां हैं। इनमें से रोहिणी इन्हें सबसे अधिक प्रिय है। करवा चौथ पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में होता है। इस योग में चंद्रमा की पूजा वैवाहिक सुख के लिए शुभ मानी गई है।
पुराणों में चंद्रमा और रोहिणी के प्रेम का वर्णन मिलता है। करवा चौथ पर महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर ये प्रार्थना करती हैं कि उनकी जोड़ी भी चंद्रमा और रोहिणी की तरह बनी रहे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मन में जितने भी विचार आते हैं इनका कारण चंद्रमा ही है। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा कर महिलाएं ये प्रार्थना करती हैं, उनके मन में पति का प्रेम सदा बना रहे।
वैसे तो साल में कईं बार चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनता है लेकिन करवा चौथ पर इसका विशेष महत्व माना गया है। गणेश पुराण में इस व्रत को कर्क चतुर्थी कहा गया है।
चतुर्थी तिथि के स्वामी श्रीगणेश हैं। श्रीगणेश का एक नाम भालचंद्र भी है यानी जिनके सिर पर चंद्रमा हो। इसलिए चतुर्थी तिथि पर श्रीगणेश के साथ चंद्रमा की पूजा करने का विशेष महत्व है।