साल 2011 की शुरुआत में युवराज सिंह को सांस लेने में परेशानी हुई। मुंह से खून आना और स्टेमिना में कमी महसूस हुई। जब वह डॉक्टर के पास गए तो उन्हें पता चला कि वह कैंसर से पीड़ित है।
साल 2011 में क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान युवराज सिंह को कैंसर था। लेकिन इस वर्ल्ड कप में उन्होंने 362 रन और 15 विकेट अपने नाम किए और उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी मिला।
2 अप्रैल 2011 को भारत ने वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की थी और इस दौरान युवराज सिंह अपनी जिंदगी के सबसे दर्दनाक सफर से गुजर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
युवराज सिंह को बाएं फेफड़ों में एक कैंसर युक्त ट्यूमर था, जो धीरे-धीरे बढ़ रहा था और उनके धमनियों पर दबाव डाल रहा था। इसे सेमिलोमा लंग कैंसर कहा जाता है।
वर्ल्ड कप जीतने के बाद 2012 में वो बोस्टन और इंडियानापोलिस के लिए निकल गए। यहां उन्होंने पूर्व साइक्लिस्ट लांस आर्मस्ट्रांग से इलाज करवाया था।
युवराज सिंह की हिम्मत और विल पावर की दात देनी चाहिए। तीन गंभीर कीमोथेरेपी सेशन के बाद युवराज भारत लौटे और फिर से मैदान पर खेलने के लिए उतरें।
एक इंटरव्यू के दौरान युवराज ने बताया था कि कैंसर के बाद सचिन तेंदुलकर ने उन्हें क्रिकेट में वापसी के लिए प्रेरित किया और कहा कि तुम्हें इस खेल से प्यार है तो तुम्हें खेलना चाहिए।
कैंसर के बाद युवराज सिंह ने 5 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला। वो ICC t20 वर्ल्ड कप 2014 और 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट का हिस्सा था, इसमें भारत दूसरे नंबर पर रहा था।
युवराज सिंह अब फिजिकल बहुत फिट है और हस्ती खेलती जिंदगी जी रहे हैं। उनका एक बेटा और एक बेटी है। युवराज क्रिकेट के अलावा गोल्फ भी खेलते हैं।