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सोने नहीं चांदी से बना होता है ओलंपिक का Gold मेडल, जानें Facts

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पेरिस ओलंपिक मेडल्स में बदलाव

पेरिस में ओलंपिक गेम्स (Paris Olympics 2024) चल रहा है। इस बार मेडल्स की बनावट बदली गई है। विजेताओं को मिलने वाले मेड पर पेरिस के एफिल टॉवर के लोहे के टुकड़े मिलाए गए हैं।

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पेरिस ओलंपिक के मेडल्स कैसे हैं

आखिरी बार गुस्ताव एफिल टॉवर की रिपेयरिंग में जो लोहें के टुकड़े निकले, उन्हें ओलंपिक मेडल्स में लगाया गया है। मेडल के ऊपरी हिस्से में करीब 18 ग्राम लोहे से हेक्सागॉन बनाया गया है।

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ओलंपिक मेडल का रिबन भी खास

इस बार पेरिस ओलंपिक में मिलने वाले मेडल में लगने वाले रिबन पर भी खास तरह से एफिल टॉवर की डिजाइन बनाई गई है।

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Olympic गोल्ड मेडल में कितना सोना

साल 1912 में स्टॉकहोम ओलंपिक का आयोजन हुआ था। तब तक खिलाड़ियों को मिलने वाले गोल्ड मेडल में 90% सोना, 10% अन्य धातुएं होती थी लेकिन 1920 एंट्वर्प ओलंपिक से बदल दिया गया।

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क्या ओलंपिक का गोल्ड मेडल रियल होता है

साल 1920 में विजेता खिलाड़ियों को जो गोल्ड मेडल्स दिए गए, उनमें 92% चांदी और सिर्फ 6 ग्राम ही सोने से पॉलिश किया गया था। तब से आजतक इसी तरह गोल्ड मेडल मिलता है।

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ओलंपिक सिल्वर मेडल में कितनी चांदी

ओलंपिक खिलाड़ियों को मिलने वाले सिल्वर मेडल में 92% सिल्वर और बाकी अन्य धातु, ब्रॉन्ज मेडल में कांस, तांबा और जिंक जैसी धातुएं होती हैं।

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ओलंपिक में गोल्ड मेडल देने की शुरुआत कब हुई

1904 के लॉस एंजिल्स में ओलंपिक गेम्स हुए। तब पहली बार विजेताओं को गोल्ड मेडल्स दिए गए। तब फर्स्ट आने वाले खिलाड़ी को ही मेडल मिलता था, बाद में सिल्वर-ब्रॉन्ज मेडल दिया जाने लगा।

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