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कम लागत, ज्यादा मुनाफा! मखाने की खेती बनाएगी करोड़पति...जानें कैसे

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बिहार में बनेगा अब मखाना बोर्ड

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपना आम बजट पेश कर दिया। इस दौरान बिहार में मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान किया। तो आइए जानते हैं कैसे होती है मखाने की खेती।

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कम लागत और अच्छा मुनाफ़ा

बता दें कि मखाने की खेती में कम लागत आती है और अच्छा मुनाफ़ा होता है। सबसे अच्छी बात यह है कि मखाने के लिए खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता है।

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सबसे ज्यादा बिहार में होती मखाने की खेती

धान व गेहूं की खेती में लागत अधिक और मुनाफा कम है। ऐसे में छोटे किसानों के लिए तो मखाने की खेती मील का पत्थर साबित होगी। बिहार में देश की 80 प्रतिशत मखाना की खेती की जाती है।

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जलमग्न भूमि पर पैदा होता है मखाना

बता दें कि मखाने की खेती आप बेकार पड़ी ज़मीनों कर सकते हैं। जहां पर पानी का ज्यादा जलभराव हो वहां यह फसल सबसे अच्छी होती है। यानि यह फसल जलमग्न भूमि वाली है।

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एक हेक्टेयर में डेढ़ से दो लाख का मुनाफा

मखाने की फसल से एक हेक्टेयर में डेढ़ से दो लाख रुपए का मुनाफा देती है। वहीं मखाने की खेती के लिए सरकार सब्सिडी देती है। अगर ज्यादा जमीन है तो आप करोड़पति भी बन सकते हैं।

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मखाने की फसल 10 महीने में तैयार

मखाने की फसल 10 महीने में तैयार होती है। नवंबर में नर्सरी डाली जाती है। फरवरी और मार्च महीने में इसकी रोपाई की जाती है। सितंबर-अक्टूबर तक इसकी कटाई हो जाती है।

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