महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के लिए वोटिंग के दौरान बुजुर्गों ने अद्भुत उत्साह दिखाया। 113 वर्षीय महिला से लेकर कैंसर मरीज तक, सभी ने लोकतंत्र के महापर्व में भागीदारी सुनिश्चित की।
इन बुजुर्गों ने न केवल मतदान किया, बल्कि उनको भी संदेश दिया, जो अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करते। आइए जानते हैं ऐसे 7 प्रेरणादायक बुजुर्गों के बारे में।
मुंबई की निवासी 113 वर्षीय कंचनबेन बादशाह व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचीं। यह परंपरा वे हर चुनाव में निभाती रही हैं। उनकी प्रतिबद्धता परिवार और समाज के लिए प्रेरणा है।
कामगार नगर, कुर्ला की 67 वर्षीय इंदुमती शिरसाट, जो कैंसर से पीड़ित हैं, वॉकर के सहारे मतदान केंद्र पहुंचीं। उन्होंने कहा कि मतदान करना एक जिम्मेदारी है, जिसे निभाना चाहिए।
गढ़चिरौली-मुलचेरा तालुका में 111 साल की एक दादी ने मतदान केंद्र जाकर वोट डाला। उनकी भागीदारी ने लोकतंत्र की ताकत को प्रदर्शित किया।
नागपुर की 93 वर्षीय अरुणा चितले, जो इमरजेंसी के समय जेल में थीं, ने भी वोट डालकर अपनी लोकतांत्रिक जिम्मेदारी निभाई।
मुंबई की 103 वर्षीय श्रीमती निर्मला जाधवजी भट्ट ने अपने परिवार के साथ मतदान केंद्र पहुंचकर वोट डाला। उनके परिवार में 60 सदस्य हैं, जो उनकी प्रेरणा से प्रभावित हैं।
106 वर्षीय चिंता देवी ने भी मतदान में हिस्सा लिया। उनकी प्रतिबद्धता ने यह साबित किया कि उम्र कभी भी लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रयोग में बाधा नहीं बन सकती।
95 वर्षीय मनियां देवी ने भी मतदान कर यह संदेश दिया कि लोकतंत्र में हर एक वोट की कीमत होती है। चाहे उम्र हो या बीमारियां, ये जिम्मेदारी निभाना हर नागरिक का कर्तव्य है।