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ये है दुनिया की 7 सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने वाली सबसे युवा लड़की

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बेटी ने रच दिया इतिहास

मुंबई की 17 वर्षीय छात्रा काम्या कार्तिकेयन ने महाद्वीपों की 7 सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला बन गई है। जानिए काम्या की अद्भुत उपलब्धि की कहानी।

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नेवी चिल्ड्रन स्कूल मुंबई में 12 वीं की छात्रा है काम्या

मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल में 12वीं की छात्रा काम्या कार्तिकेयन ने दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला बनकर इतिहास रच दिया है, जिसने सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई की।

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इस बार इस माउंट में पर पाई फतह

काम्या ने माउंट किलिमंजारो,  माउंट एल्ब्रस,  माउंट कोसियसज़को, माउंट एकॉनकागुआ,  माउंट डेनाली, एशिया के माउंट एवरेस्ट और अब अंटार्कटिका के माउंट विंसेंट पर फतह पाई।

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सैनिक पिता के साथ पूरी की अपनी शिखर यात्रा

इंडियन नेवी के अनुसार काम्या ने अपने पिता कमांडर एस. कार्तिकेयन के साथ चढ़ाई पूरी की। उन्होंने 24 दिसंबर को चिली के समयानुसार 5:20 बजे माउंट विंसेंट पर चढ़कर 7 शिखर चुनौती को जीता।

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भारतीय नौसेना ने काम्या को दी बधाई

भारतीय नौसेना और नेवी चिल्ड्रन स्कूल ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए काम्या और उनके परिवार को बधाई दी। 

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सोशल मीडिया पर इतिहास रखने की बताई कहानी

नौसेना ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, "मुंबई की छात्रा काम्या कार्तिकेयन ने सात महाद्वीपों की चोटियों पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनकर इतिहास रच दिया है।"

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7 साल की उम्र में शुरू किया था शिखर पर चढ़ना

काम्या ने अपनी यात्रा के बारे में बताया कि उन्होंने सात साल की उम्र में उत्तराखंड में पहला ट्रेक किया था। इसके बाद, उन्होंने 16 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। 

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भारतीय नौसेना ने बताया गर्व का क्षण

काम्या की यह सफलता उनकी अदम्य साहस और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह उसके पूरे स्कूल और भारतीय नौसेना के लिए गर्व का क्षण है।"

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स्कूल ने कहा, काम्या ने कायम की मिसाल

 नेवी चिल्ड्रन स्कूल ने भी अपने आधिकारिक पोस्ट में लिखा, "काम्या कार्तिकेयन ने बाधाओं को तोड़ते हुए सात महाद्वीपों की चोटियों पर चढ़ाई कर दुनिया के सामने एक नई मिसाल पेश की है।

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युवाओं के लिए है प्रेरणास्त्रोत

काम्या की यह उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और उनके साहसिक सफर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

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