अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम आपको ऐसी महिलाओं से रूबरू कराने जा रहे हैं। जो गरीबी में पलीं हैं। लेकिन आज वे अपनी मंजिल पाकर महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं।
डेरा डालकर रहने वाले लोहार समाज की महिला कमला लोहार आज पढ़ लिखकर अपनी दम पर सब इस्पेक्टर बन गई है।
इसी प्रकार बाड़मेर राजस्थान की सब इंस्पेक्टर लक्ष्मी गढ़बीर अपनी मेहनत और जज्बे की दम पर गांव की पहली महिला सब इंस्पेक्टर बन गई। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी।
झुंझुनू की रहने वाली चंदा गुर्जर भी राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर है। चंदा ने अपनी दम पर दिन रात मेहनत कर नौकरी हासिल की।
चंदा के पिता दुबई में नौकरी करते थे। लेकिन वहां काम ठप्प होने के बाद वे गांव में ही भेड़ चराने लगे। ऐसी स्थिति से निकलकर चंदा ने आज अपने पिता का नाम रोशन किया है।
बाड़मेर की सब इंस्पेक्टर हेमलता चौधरी ने भी काफी संघर्ष किया। 10 वीं की पढ़ाई के बाद उनकी शादी हो गई थी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ये मुकाम हासिल किया है।
हेमलता ने शादी के बाद तैयारी की और अपने जज्बे को बनाए रखने के कारण शादी के सात साल बाद उन्हें सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिली।