कोटा में कोचिंग करने के लिए देशभर से स्टूडेंट्स आते हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार के एक आदेश ने कोचिंग हब में खलबली मचा दी है।
कोटा को कोचिंग का हब कहा जाता है। यहां हर साल दो लाख से अधिक स्टूडेंट डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए आते हैं।
अधिकतर बच्चे दसवीं और बारहवीं में डमी स्टूडेंट बनकर नीट और जेईई की परीक्षा की तैयारी करते हैं।
कोटा और देश के अन्य हिस्सों में एक साथ कई परीक्षाएं देने के कारण छात्र डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में पिछले एक साल में 27 स्टूडेंट ने सुसाइड भी किया है।
केंद्र सरकार ने दसवीं और बारहवीं के बच्चों को कोचिंग में प्रवेश देने पर रोक लगा दी है। 16 साल से कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
यह पॉलिसी केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2000 के तहत गाइडलाइन फॉर रजिस्ट्रेशन रेगुलेशन कोचिंग सेंटर 2024 जारी की है।
कोटा शहर में कक्षा 6 से ही भविष्य की तैयारी शुरू कर दी जाती है। ऐसे में पचास हजार से भी ज्यादा छात्रों के भविष्य पर संकट है।
कोचिंग संचालक प्रति स्टूडेंट 5 लाख रुपए तक फीस लेते हैं। जिसमें खाना और रहना भी शामिल होता है।