राजस्थान में वर्तमान में करीब दो लाख ऊंट बचे हैं. साल 2019 में हुई पशु गणना में ऊंटों की संख्या 2.52 लाख थी और इससे पहले 2012 में हुई पशुगणना में यह संख्या चार लाख थी.
राजस्थान में ऊंटों की संख्या में तेजी से गिरावट देखने को मिली है। राज्य पशु होने के बाद भी 6 सालों में ऊंटों की संख्या करीब दो लाख तक कम हो गई।
सीएम गहलोत ने ऊंट संरक्षण योजना के तहत 2.60 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। इसके अंतर्गत पशु चिकित्सक मादा ऊंट और बच्चे को टैग लगाकर पहचान पत्र देंगे ताकि उन्हें सुविधाएं मिल सकें।
ऊंटों के संरक्षण के लिए पशु पालकों 5000 रुपये, ऊंट के बच्चे के एक साल पूर्ण होने पर दूसरी किश्त में फिर से 5000 रुपये देने का प्रावधान किया गया है.
कहते हैं राजस्थान गए और ऊंट की सवारी न की तो क्या किया। ऐसे में पर्यटकों यहां ऊंटों की सवारी का शौक है। ऊंटों की घटती संख्या पर्यटन के लिहाज से चिंता की बात है।
हर साल होने वाले राजस्थान महोत्सव में ऊंट का शानदार नृत्य लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है।
राजस्थान में कई शादियों में भी बारात ऊंट से ले जाई जाती है। दूल्हा भी घोड़ी या महंगी कार के बजाए रेगिस्तान के इस जहाज यानी ऊंट पर दुल्हन लेने जाना पसंद करता है।