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इस जंगल में धरती में समा गई थी सीतामाता, जानिये कहां है ये दिव्य स्थान

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अयोध्या में विराजेंगे राम

22 जनवरी को अयोध्या में राम विराज रहे हैं। ऐसे में हम आपको ऐसे स्थान के बारे में भी बताने जा रहे हैं। जहां सीता माता धरती में समा गई थी।

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राजस्थान में है ये स्थान

जहां सीता माता धरती में समा गई थी, वह स्थान राजस्थान के प्रतापगढ़ में सीतामाता अभ्यारण के नाम से प्रसिद्ध है। जहां काफी लोग जाते हैं।

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धरती में समाई थी माता

बताया जाता है कि यहां माता सीता धरती में समा गई थी। भगवान राम के दोनों बेटे लव-कुश का भी इसी जंगल में जन्म हुआ था।

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अश्वमेव यज्ञ के घोड़े को पकड़ा

लव-कुश ने इसी जंगल में अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ा था और हनुमान को बंधक बनाया था।

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पहाड़ियों के बीच मंदिर

यह अभ्यारण चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। करीब 420 वर्ग किलोमीटर में फैले अभ्यारण में सीतामाता का मंदिर और ऋषि वाल्मीकि का आश्रम है।

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गर्म और ठंडे जल की धारा

इस अभ्यारण में दो अलग-अलग जलधारा भी है। जिनमें से एक में हमेशा गर्म और दूसरा ठंडा जल मिलता है।

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यहां खेलते थे लव कुश

यहां बरगद का एक पेड़ इतना बड़ा है कि वह 12 बीघा में फैला हुआ है। उसे 12 बीघा बरगद कहा जाता है। मान्यता है कि इस पेड़ पर लव कुश खेला करते थे।

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सीता माता का मंदिर

यहां सीता माता का जो मंदिर है वह आकार में बेहद छोटा है लेकिन उसे देखने के लिए साल में हजारों लोग यहां आते हैं।

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यहां धरती में समाई थी माता

इस स्थान पर एक बोर्ड भी लगा है। जिसमें साफ लिखा है कि यहां सीता माता धरती में समा गई थी। यहीं वाल्मीकि आश्रम भी है।

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