भक्ति भाव से विभोर अयोध्या धाम में सोमवार 22 जनवरी को श्री राम जन्मभूमि पर होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की शुरुआत मंगल ध्वनि से होगी।
अलग-अलग राज्यों के 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र लगभग 2 घंटे तक इस शुभ घटना के साक्षी बनेंगे।
इस मांगलिक संगीत कार्यक्रम के परिकल्पनाकार और संयोजक यतीन्द्र मिश्र हैं, जो प्रख्यात लेखक, अयोध्या संस्कृति के जानकार और कलाविद हैं।
22 जनवरी को सुबह 10 बजे से प्राण-प्रतिष्ठा मुहूर्त के ठीक पहले तक, लगभग 2 घंटे के लिए श्रीरामजन्मभूमि मन्दिर में शुभ की प्रतिष्ठा के लिए 'मंगल ध्वनि का आयोजन किया जाएगा।
श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, भारतीय संस्कृति में किसी भी शुभ काम के अवसर पर देवता के सम्मुख पारंपरिक ढंग से मंगल-ध्वनि बजाई जाती है।
प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के मौके पर हम सम्पूर्ण भारत के विभिन्न अंचलों और राज्यों से वहां के पारम्परिक वाद्यों का वादन यहां श्रीरामलला के सम्मुख करने जा रहे हैं।
विभिन्न राज्यों के 25 प्रमुख और दुर्लभ वाद्य यन्त्रों के मंगल वादन से अयोध्या में ये प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न होगा। इसे उन वाद्य यंत्रों के दक्ष कलाकार ही बजाएंगे।
भारतीय परंपरा के वादन में जितने प्रकार के वाद्ययंत्र हैं, सभी का मंदिर प्रांगण में वादन होगा। इनमें UP का पखावज, बांसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी बजाया जाएगा।
इसके अलावा पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्यप्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार का पखावज, दिल्ली की शहनाई भी सुनाई देगी।
राजस्थान का रावणहत्था, बंगाल का श्रीखोल, सरोद, आंध्र का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का नागस्वरम,तविल, मृदंग और उत्तराखंड का हुड़का भी बजाया जाएगा।
ये वादन ऐसे समय में होगा, जब प्राण प्रतिष्ठा का मंत्रोच्चार और देश के नेतृत्व का उद्बोधन नहीं हो रहा होगा। वाद्य यंत्र बजाने वाले सभी लोग स्वयं अपनी प्रेरणा से अयोध्या आ रहे हैं।