बेंगलुरु के 34 वर्षीय AI इंजीनियर अतुल सुभाष ने सुसाइड नोट में पत्नी पर उत्पीड़न और झूठे मामलों के आरोप लगाए। न्याय की मांग करते हुए उन्होंने 12 अंतिम इच्छाएं लिखी। यहां जानें।
मेरे सभी मामलों की सुनवाई लाइव हो, जिससे देश के सभी लोगों को मेरे मामले के बारे में पता हो। कानूनी व्यवस्था की स्थिति और इन महिलाओं द्वारा कानून दुरुपयोग के बारे में जानना चाहिए।
कृपया मेरे द्वारा अपलोड किए गए इस सुसाइड नोट और वीडियो को मेरे बयान और सबूत के रूप में अनुमति दें।
जज रीता कौशिक ने न्याय नहीं किया। कर्नाटक में मुकदमा चलने तक उसे बेंगलुरू में न्यायिक हिरासत में रखने का अनुरोध है। नीचे न्याय क्यों होता हुआ दिख रहा है, इस पर निर्णय दिया गया है।
मेरे बच्चे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए जो उसे बेहतर मूल्यों के साथ पाल सकें।
मेरी पत्नी या उसके परिवार को मेरे शव के पास न आने दें।
जब तक दोषियों को सजा न मिले, तब तक मेरा अस्थि विसर्जन न करें। अगर कोर्ट में भ्रष्ट जज और मेरी पत्नी व अन्य दोषी नहीं पाए जाते हैं, तो इन अस्थियों को कोर्ट के बाहर नाले में बहा दें।
मेरे उत्पीड़कों को अधिकतम सजा दें, हालांकि मुझे हमारी न्याय व्यवस्था पर बहुत भरोसा नहीं है। अगर मेरी पत्नी जैसे लोगों को जेल नहीं भेजा गया, तो उसका हौसला और बढ़ेगा, जो खतरनाक होगा।
न्यायपालिका को जगाना और उनसे आग्रह करना कि वे मेरे माता-पिता और मेरे भाई को झूठे मामलों में परेशान करना बंद करें।
इन दुष्ट लोगों के साथ कोई बातचीत, समझौता और मध्यस्थता नहीं होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।
मेरी पत्नी (चाकू) को सजा से बचने के लिए केस वापस लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि वह स्पष्ट रूप से स्वीकार न कर ले कि उसने झूठे मामले दर्ज कराए हैं।
मेरी पत्नी अब सहानुभूति के लिए बच्चे को अदालत लाएगीी, जो उसने पहले नहीं किया। मैं अदालत से अनुरोध करता हूं कि उसे इसकी अनुमति कदापि न दी जाए।
शायद मेरे मां-बाप को अदालत से इच्छामृत्यु मांगनी चाहिए,अगर उत्पीड़न और जबरन वसूली जारी रहती है। आइए पतियों के साथ मां-बाप को भी मार दें और न्यायपालिका के इतिहास में काला युग बनाएं।