जनता की ओर से आयोग में दाखिल हुआ प्रस्ताव, कहा बिजली कंपनियों का घाटा मनगढ़ंत और आंकड़े झूठे हैं।
आयोग जून में शुरू करेगा सार्वजनिक सुनवाई, जनता और कंपनियों की दलीलें होंगी आमने-सामने।
उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया, तीन साल से नोएडा में कटौती है, तो दूसरे डिस्कॉम पर यह नियम क्यों नहीं?
2019 के आदेश में 13,337 करोड़ की बकाया राशि अब 33,122 करोड़ पार, फिर भी जनता को ही दोष क्यों?
बिजली कंपनियां जो पैसा वसूल सकती हैं, उसे घाटा बताकर दरें बढ़ा रही हैं, परिषद ने जताई आपत्ति।
बिना मंजूरी के टेंडर कैसे निकले? उपभोक्ताओं पर क्यों डाला जा रहा है अतिरिक्त बोझ?
सौभाग्य योजना में बिना भुगतान क्षमता के उपभोक्ताओं को जोड़ा गया, अब उन्हीं पर दिखाया जा रहा घाटा।
कॉरपोरेशन ने आंकड़े सही बताए, कहा: सब कुछ ERP सिस्टम से होता है, फर्जीवाड़ा संभव नहीं।
परिषद ने कहा – बैलेंसशीट से पहले आंकड़े सार्वजनिक करना आयोग पर दबाव बनाने की कोशिश है।
विद्युत अधिनियम के मुताबिक, सरकार को किसानों और गरीबों की सब्सिडी खुद देनी होगी, जनता पर नहीं।
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