Uttar Pradesh

जानें किस शैली में बन रहा अयोध्या का राम मंदिर, क्या है इसकी खासियत?

Image credits: Social media

वास्तु शास्त्र के हिसाब से नागर शैली में बन रहा राम मंदिर

अयोध्या में 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर का उद्घाटन है। वास्तु शास्त्र के हिसाब से राम मंदिर को नागर शैली में बनाया जा रहा है, जिसका डिजाइन गुजरात की सोमपुरा फैमिली ने तैयार किया है।

Image credits: Our own

जानें क्या है नागर शैली?

'नागर' शब्द नगर से बना है। नगर में निर्माण कार्य होने की वजह से इस शैली को नागर शैली कहा गया।

Image credits: Social media

संरचनात्मक मंदिर निर्माण की शैली है 'नागर शैली'

5वीं शताब्दी के बाद भारत के उत्तरी भाग में वास्तुकला की इस शैली का विकास हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत तक के क्षेत्रों में हुआ। यह संरचनात्मक मंदिर निर्माण की एक शैली है। 

Image credits: Our own

नागर शैली के मंदिरों में होते हैं 2 भवन

वास्तुशास्त्र के मुताबिक, नागर शैली के मंदिर आधार से लेकर सर्वोच्च शिखर तक चतुष्कोण होते हैं। इस शैली के मंदिरों में दो भवन होते हैं।

Image credits: Our own

पहला भवन गर्भगृह और दूसरा मंडप

नागर शैली में पहला भवन गर्भगृह और दूसरा मंडप कहलाता है। गर्भगृह ऊंचा होता है, जबकि मंडप उससे छोटा होता है।

Image credits: Our own

गर्भ गृह के चारों ओर ढंका हुआ प्रदक्षिणा पथ

गर्भ गृह के चारों ओर ढंका हुआ प्रदक्षिणा पथ भी होता है। खास बात ये है कि इस शैली से बनने वाले मंदिरों में लोहे और सीमेंट का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाता है।

Image credits: Our own

राम मंदिर निर्माण में नहीं हुआ लोहे-सीमेंट का इस्तेमाल

चूंकि राम मंदिर निर्माण में बिल्कुल भी सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाना था। इसलिए साधु-संतों और वैज्ञानिकों ने इसे प्राचीन नागर शैली से ही बनाने का फैसला किया।

Image credits: Our own

नागर शैली में बने कुछ प्रसिद्ध मंदिर

ओडिशा का लिंगराज मंदिर और कोणार्क मंदिर इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं। इनके अलावा कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो, जगन्नाथ पुरी मंदिर ओडिशा और राजस्थान में दिलवाड़ा के मंदिर प्रमुख हैं।

Image credits: Our own