उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित रूपकुंड एक हिम झील है । ये जगह निर्जन है। बावजूद इसकी तह में कई रहस्य छिपे हुए हैं।
मान्यताओं के मुताबित कभी मां नन्दा (गौरा) ने हिमालय की तलहटी में इस खूबसूरत हिम सरोवर में खुद को निहारा था। इसके बाद से इसका नाम रूप कुंड पड़ गया।
हिमालय में साढ़े 16 हजार फीट की हाइट पर स्थित पुरातात्विक रहस्यों से भरी रूपकुंड झील पहली बार पूरी तरह सूख गई है।
रूपकुंड झील की तह में छिपे अनजान रहस्य सामने आ गए हैं। नरकंकाल तो पहले भी मिलते रहे हैं। लेकिन जांच में सामने आया है कि इसमें से निकली कुछ हड्डियां और खोपड़ी 8वीं सदी के अवशेष हैं।
सूख चुके रूपकुंड में हजारों की संख्या में मानव अस्थियां, लंबे-लंबे बाल, बड़े-बड़े नाखून और अति प्राचीन खड़ाऊ और जूते मिले हैं।
गढ़वाल यूनिवर्सिटी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश भट्ट के मुताबिक New research National Geographic ने यहां बिखरी मानव अस्थियों आठवीं सदी का बताया है।
उत्तराखंड में सेलीब्रेट किए जाने वाले पर्व राजजात को इसी कुंड में आयोजित किया जाता है। हर 12 साल में यहां खास धार्मिक अनुष्ठान,पूजन-अर्चन किया जाता है।