भारत में यहूदियों की बड़ी आबादी देखने को मिलती है। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक यहूदी रहते हैं। हालांकि, यहां का यहूदी समुदाय थोड़ा विभाजित है।
भारत में मुख्य रूप से तीन तरह का यहूदी समुदाय रहता है। पश्चिमी भारत के बेने इस्राएली यहूदी, पश्चिम बंगाल के बगदादी यहूदी और कोचीन यहूदी।
मुख्य रूप से तीन यहूदियों के अलावा पूर्वोत्तर भारत के बेनेई मेनाशे यहूदी और आंध्र प्रदेश के बेने एफ्रैम यहूदी समुदाय भी भारत में रहता है।
दरअसल, ब्रेने एफ्रैम यहूदी समुदाय तेलुगु भाषा अच्छी तरह बोल लेते हैं। इसलिए वे खुद को तेलुगु यहूदी कहते हैं।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर और मिजोरम में रहने वाले बेनेई मेनाशे यहूदियों का दावा है कि उनके पूर्वज इजरायल के रहने वाले हैं।
इतिहासकार मानते हैं कि भारत में पहली बार यहूदियों का आगमन 2,000 साल पहले हुआ था। तब कुछ ही संख्या में यहूदी यहां पहुंचे थे।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में पहली बार यहूदी केरल के मालाबार तट पर पहुंचे थे। इसके बाद वे धीरे-धीरे पूरे भारत में बस गए।
जर्मन न्यूज वेबसाइट DW की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1940 के दशक में भारत में यहूदियों की अच्छी खासी आबादी थी। तब इनी संख्या करीब 40 हजार थी।
भारतीय सेना में भी यहूदी ने अपनी सेवा दी है। 1924 में पैदा हुए जेएफआर जैकब भारतीय सेना में शामिल हुए और देश की सेवा की। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई।