इजराइल-हमास की जंग का असर सबसे ज्यादा गाजा में हुआ है। लाखों फिलिस्तीनी बेघर हो गए हैं। ऐसे में उन्हें 1948 का वह काला दौर याद आ रहा है, जब उनके पूर्वजों को बेदखल होना पड़ा था।
नकबा अरबी शब्द है, जिसका मतलब तबाही है। 75 साल पहले इजराइली हमलों में फिलिस्तीनियों का विस्थापन हुआ, जिसे वो हर साल 15 मई को नकबा के तौर पर याद करते हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई युद्ध के बाद आज करीब 60 लाख लोग गाजा, वेस्ट बैंक और पड़ोसी मुल्कों में रिफ्यूजी कैंप में रहते हैं। जिनके पास अपना घर नहीं है।
आज के दौर की बात करें तो 23 लाख जॉर्डन, 15 लाख गाजा, 8.70 लाख वेस्ट बैंक, 5.70 लाख सीरिया और 4.80 लाख लेबनान में फिलिस्तीनी बदतर हालात में हैं।
1948 की तरह उत्तरी गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों को फिर से बेघर होने की चिंता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे दोबारा से नकबा का सामना कर रहे हैं।
गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान न खाना-पानी है और ना ही कहीं रहने की का ठिकाना। मिस्र वे जा नहीं सकते, दक्षिणी गाजा की आबादी 12 लाख होने से 10 लाख लोगों के लिए वहां भी जगह नहीं है।
गाजा पर हमले हो रहे हैं। सीमाओं पर इजराइली सेना तैनात है। इजराइल पर समझौतों के उल्लंघन का आरोप है। एक्सपर्ट्स का मानना है फिलिस्तीनी दो हिस्से उत्तर-दक्षिण गाजा में बंट सकता है।