इजरायल पर हमास ने 7 अक्टूबर को हमला किया और इसके तुरंत बाद ही अमेरिका बिना शर्त इजरायल के समर्थन में उतर आया। गाजा पर हमलों में भी उसने इजराइल का खुलकर साथ दिया।
गाजा पर जब इजरायली हमले हो रहे थे, तब भी अमेरिका ने साफ कर दिया था कि वह किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं करेगा। इसे इजरायल की रक्षा का अधिकार बताया था।
इजराइल पर हमास के हमले के बाद अमेरिकी संसद के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव ने सैन्य सहूलियत देने 14.5 अरब डॉलर के प्रस्ताव को मंजूरी दी। सवाल आखिर US इजराइल का साथ क्यों देता है?
1948 में इजरायल ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित किया और सिर्फ 11 मिनट में ही अमेरिका ने उसे मान्यता दे दी। तब अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रुमैन थे।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने इतने कम समय में इजरायल को एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता इसलिए दी ताकि अरब क्षेत्र में उसे अपना हित साधने में मदद मिल सके।
इजरायली पीएम नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के रिश्ते चार दशक से अच्छे हैं। हालांकि, इस रिश्ते में काफी चुनौतियां भी हैं लेकिन इजरायल-हमास जंग में संबंध नए दौर में हैं।
बाइडेन जब अमेरिकी संसद में युवा सीनेटर थे, तभी नेतन्याहू अमेरिका के इजरायली दूतावास में काम करते थे। यहीं से दोनों की दोस्ती हुई और बाद में नेतन्याहू UN में इजरायल के राजदूत बने।
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का जब कार्यकाल चल रहा था, तब इजराइल से उनके तनाव बढ़े लेकिन तब भी मतभेद के बावजूद जो बाइडेन ने नेतन्याहू को अपना दोस्त बताया था।
अमेरिकी डेमोक्रेट्स-रिपब्लिकन पार्टी के ज्यादातर सांसद इजराइल के समर्थक हैं। ये इजरायल के पक्ष में माहौल बनाते हैं। बीबीसी के मुताबिक, 2020 में दोनों ने 30 अरब डॉलर फंड जुटाए।